"महकता सावन"

महकता सावन अब आ ही गया
अब तो शरम का परदा हटाओ सनम।


दिन आ ही गये हैं बहारों के जब
अब तो खुलकर मुस्कुराओ सनम।


याद आएँ जो मेरी वो यादें हँसी
तो प्यार का एक गीत गुनगुनाओ सनम।


पास आके हुआ तेरे बेचैन मैं
अब यूँ ही चुप सी ना लगाओ सनम।


"राना" मर जाएगा अब तेरी याद में
वादा अपना यूँ ही ना तोड़ जाओ सनम।


"टूटा मन"

होता बहुत दुखी है इस प्यार के चमन में
इंसान का जब यारों विश्वास टूटता है I


देखे जो गम किसी का वो अपनी निगाहों से
उस पल वहां ठहर कर कई बार सोचता है।


ये गम की आँधियाँ क्यों रुलाती हैं किसी को
आखिर सबब ये क्या है खुद से वो पूछता है।


दुनियां में ये अपने पराये हैं किसलिए
होकर अधीर वो ज़िंदगी की मज़िल ढूंढता है।


आएगा एक सवेरा सबकी ख़ुशी को लेकर
इस आस को लिए वह बस सपने संजोता है।

"मेरे अज़नबी"

क्यूँ अज़नबी होकर भी,
दिल के करीब हो तुम I
क्यूँ इक ख्वाब बनकर,
मन के करीब हो तुम I

कुछ सोचता हूँ जब भी
कुछ चाहता हूँ जब भी
आ जाता है नज़र क्यूँ
चेहरा तुम्हारा
क्यूँ ऐसा लगता है,
मेरे हबीब हो तुम I


क्यूँ देखता हूँ तुझमें मैं जीवन की खुशियाँ
क्यूँ देखते ही तुमको भर आती हैं अँखियाँ
तुम अज़नबी हो फिर क्यूँ
तुम्हे खोने का डर है
क्यूँ ये महसूस होता,
मेरे पल पल मे हो तुम I


क्यूँ तन्हाई मे साथ चाहूं तुम्हारा
क्यूँ लगता है तुम बिन ना जीना गंवारा
मैं बेचैन होता क्यूँ
देखकर तुमको औरों संग
क्यूँ प्यार करने लगा हूँ मैं तुमसे,
क्यूँ बनके धड़कन दिल मे बसे हो तुम I




"इक बार सोचता हूँ"

इक बार सोचता हूँ,
ज़िंदगी क्या है
रिश्ते क्या हैं
फिर ठहर जाता हूँ
शून्य में देखता हूँ
फिर सोचता हूँ,


हम घिर चुके हैं
नीचे वसुधा है
ऊपर अंबर है
जाएँ तो जाएँ कहाँ
फिर ठहर जाता हूँ
कुछ सकुचाता हूँ
डर के घबराता हूँ
फिर सोचता हूँ,


आकाश तो पिता है
धरती तो माता है
ये कैसा नाता है
अनंत की छाव में
पृथ्वी की गोद में
इक बेटे के प्राण को
यमराज लेके जाता है
ये कैसा नाता है
फिर ठहर जाता हूँ
पीरा से भर जाता हूँ
मन को समझाता हूँ
फिर सोचता हूँ,


मिट्टी का तन है ये
मिट्टी में मिलने को
प्राणों की खुशबू है
ईश्वर से जुड़ने को
माता पिता ने बनाई जो सृष्टि है
बेटे को भेजा है
शोभा बढ़ाने को
फिर ठहर जाता हूँ
संतुष्टि से भर जाता हूँ
शून्य में देखता हूँ
और देखता ही जाता हूँ,

"कैसे कहूँ"

दिल में इक तूफान उठता है
जब याद तुम्हारी आती है

मन में बेचैनी उठती है
जब बात तुम्हारी आती है

होंठो से हँसी आँखों से चमक
उस पल गायब हो जाती है

जब तुम गैरों से मिलते हो
दिल मे बदरी छा जाती है


गैरों से तुम्हारी की बातें
इन साँसों को छू जाती है


कोयल की कूक चिड़ियों चहक
"राना" को लुभा ना पाती है


मेरे हमदम तुम्हारी ये हरकत
कैसे कहूँ सताती है





"समर्पित मन"

तुम कभी सोचकर देखो
मेरे बारे में
तुम्हें मिलेगा
अपनापन
बिछी पलकें 
समर्पित मन I


तुम कभी आज़माकर देखो
खुद को मेरी तरह
तुम्हें मिलेगा
तरसता सा
पिघलता सा
ढला जीवन I


तुम कभी सज़ाकर देखो
सपनों का महल
तुम्हें मिलेगा
सूना सा
खाली सा
यादों का खंडहर I


तुम कभी निभाकर देखो
इक तरफ़ा मोहब्बत
तुम पाओगे
ठोकर
ज़िल्लत
दुनिया का कहर I


तुम कभी पिलाकर देखो
दो घूँट जहर
तुम्हें मिलेगा
वही अपनापन
बिछी पलकें
समर्पित मन I


"तुम बिन"

ऐ मीत मेरे सुन लो तुम भीI
नही मुझको अब जीना तुम बिनII
ये हृदय जो आया है तुम पर I
तो मुझको है मरना तुम बिनII

मॅन के इस मंदिर में मेरे
होती तेरी हर पल पूजा
क्यूँ रूठ गये तुम प्यार मेरे
ना है दिल का कोई दूजा
तुम आ जाओ मॅन के दर्पण I
दिल है रोता रहता तुम बिनII


दिल का गमों से रिश्ता जो
वो रिश्ता है मेरा तुमसे
तुम भूल गयी मुझको लेकिन
मैं जुड़ा तुम्हारी यादों से
फिर यकीं न हो शायद तुमकोI
मैं खुद से जुदा-जुदा तुम बिनII


तेरी निभाई रश्मों को
तेरे वादों तेरी कसमों को
मैं याद दिलाता हूँ तुझको
तेरे प्रेम भरे उन वचनों को
इस सर्द हवा के मौसम में I
हूँ घुट-घुट कर जीता तुम बिनII


इन आँखों से आँसू बनकर
गिर पड़ते हैं तेरे खत पर
मैं उन ज़ख़्मों को सिल न सकूँगा
जो तूने दे डाले दिल पर
अब जनम-जनम तक साथी मेरेI
जख्म ये भर न सकेंगे तुम बिनII


तेरी यादों का साया
अब मुझे सताया करता है
यदि मैं जागूं यदि मैं सोऊँ
मुझे बुलाया करता है
किससे कहूँ इस मॅन की बात I
अब किसे सुनाऊं मैं तुम बिनII


मॅन की पीड़ा तुम समझ ना पाई
छोड़ के मुझको हुई पराई
अब सोच के दिल ये रोता है
तुम संग क्यूँ यह प्रीति लगाई
जीवन की ये कड़वाहट I
अब दूऱ नही होती तुम बिनII


ये सितम वक़्त का है साथी
ना तुम दोषी ना दोष मेरा
जोगन बन गईं तुम बिन रातें
दर्द ने दिल में किया बसेरा
तेरे प्रेम से नश-नश सराबोर I
अब रहा नही जाता तुम बिनII



मैने तुमसे सीखा है

बहुत ही देर से जाना
अभी जो लौट आए हो,
ये मैने तुमसे सीखा है
मोहब्बत झूठ होती है
ये खुद से दूर करती है
एक नासूर होती है
बहुत मजबूर करती है
बहुत ही देर से जाना
अभी जो लौट आए हो,
ये मैने तुमसे सीखा है
कभी तुम इश्क़ न करना
ये दिल को तोड़ देता है
बहुत मगरूर होता है
अकेला छोड़ देता है
बहुत ही देर से जाना
अभी जो लौट आए हो,
ये मैने तुमसे सीखा है
किसी को छोड़कर जाना
नही फिर लौटकर आना
बहुत ही बेरूख़ी करना
किसी के दिल मे ना रहना
बहुत ही देर से जाना
अभी जो लौट आए हो,
तो बस इतना ही जाना है
मोहब्बत रूह होती है
कभी भी दूर जाने से
मोहब्बत रूठ जाती है
हमें वापस बुलाती है
बहुत ही देर से जाना
अभी जो लौट आए हो,

दो घूँट जहर"

आँखों में बस जाओ तुम I
अब यूँ न मुझे तड़पाओ तुम II
दिल में प्रेम तुम्हारा है I
इक नाम इसे दे जाओ तुम II

ना ऐसे तुम तकरार करो
अब इश्क़ का तुम इकरार करो
कभी रंग न जिसका हो फीका I
वो प्यार मुझे दे जाओ तुम II

मैं शाम ढले सोचूँ तुमको
मैं सपनों में देखूं तुमको
हो जिसकी छवि न कभी धूमिल I
वो याद मुझे दे जाओ तुम II

कहीं गुजर ना जाए ये लम्हा
फिर रह जाएँ हम तुम तन्हा
वो पल आने से पहले I
"दो घूँट जहर" दे जाओ तुम II