"कैसे कहूँ"

दिल में इक तूफान उठता है
जब याद तुम्हारी आती है

मन में बेचैनी उठती है
जब बात तुम्हारी आती है

होंठो से हँसी आँखों से चमक
उस पल गायब हो जाती है

जब तुम गैरों से मिलते हो
दिल मे बदरी छा जाती है


गैरों से तुम्हारी की बातें
इन साँसों को छू जाती है


कोयल की कूक चिड़ियों चहक
"राना" को लुभा ना पाती है


मेरे हमदम तुम्हारी ये हरकत
कैसे कहूँ सताती है





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